अधिगम के लिए मूल्यांकन (Assessment for Learning)


परिभाषा

अधिगम के लिए मूल्यांकन वह प्रक्रिया है जिसमें शिक्षक यह समझने का प्रयास करता है कि विद्यार्थी कैसे और कितना सीख रहा है। इसका उद्देश्य केवल परीक्षा में अंक देना नहीं, बल्कि यह जानना होता है कि विद्यार्थी को कहाँ मदद की आवश्यकता है और कैसे उसका सीखना बेहतर बनाया जा सकता है। यह प्रक्रिया शिक्षण के साथ-साथ चलती है और यह विद्यार्थियों की सोच, समझ, व्यवहार और आत्मविश्वास को बढ़ाने का कार्य करती है। यह मूल्यांकन बच्चों को अपनी सीखने की प्रक्रिया को पहचानने, सुधारने और आगे बढ़ाने में मदद करता है। यह एक सतत, सुधारात्मक और छात्र-केंद्रित प्रक्रिया होती है।

उदाहरण

1. हिंदी की कक्षा में

   शिक्षक बच्चों को एक भावनात्मक कविता पढ़ाता है और बाद में उनसे पूछता है कि उन्हें कविता का कौन-सा हिस्सा सबसे अच्छा लगा और क्यों। इससे बच्चों की भावनात्मक समझ और विश्लेषण की क्षमता का पता चलता है।

2. विज्ञान में परियोजना कार्य

   विज्ञान विषय में विद्यार्थियों को "पानी बचाओ" पर एक परियोजना दी जाती है। वे पोस्टर बनाते हैं, रिपोर्ट तैयार करते हैं और प्रस्तुति देते हैं। इस गतिविधि से उनकी रचनात्मकता, समझ और टीम भावना का मूल्यांकन किया जाता है।

3. गणित में सतत मूल्यांकन

   गणित में हर हफ्ते शिक्षक अभ्यास प्रश्न देता है और उत्तर देखकर समझता है कि कौन-से विद्यार्थी को किस विषय में दोबारा मार्गदर्शन देना है। यह सतत और निर्माणात्मक मूल्यांकन का उदाहरण है।

4. सामाजिक विज्ञान में सहपाठी मूल्यांकन

   समूह प्रस्तुति के बाद एक विद्यार्थी दूसरे समूह को सुझाव देता है कि अगर वे संवाद थोड़ा और स्पष्ट करते तो प्रभाव बेहतर होता। यह सहपाठी मूल्यांकन कहलाता है।

5. आत्म-मूल्यांकन

   पाठ समाप्त होने के बाद शिक्षक बच्चों को एक फॉर्म भरने को कहता है जिसमें लिखा होता है: "मैंने क्या सीखा?", "कहाँ मुझे कठिनाई हुई?" यह आत्म-मूल्यांकन की प्रक्रिया होती है।

मूल्यांकन का प्रकार – विवरण – उदाहरण

निर्माणात्मक मूल्यांकन – शिक्षण के बीच में किया गया मूल्यांकन – कविता पढ़ने के बाद समझ जाँचना

सतत मूल्यांकन – पूरे वर्ष समय-समय पर मूल्यांकन – साप्ताहिक अभ्यास प्रश्न

समग्र मूल्यांकन – सोच, भावना और व्यवहार को एक साथ देखना – प्रोजेक्ट, रिपोर्ट, प्रस्तुति

सांस्कृतिक उत्तरदायी मूल्यांकन – स्थानीय भाषा, संस्कृति और अनुभव को ध्यान में रखना – लोकगीत, त्योहार आधारित गतिविधियाँ

आत्म-मूल्यांकन – विद्यार्थी स्वयं अपनी प्रगति का आंकलन करता है – "मैंने क्या सीखा?" जैसे प्रश्न

सहपाठी मूल्यांकन – एक विद्यार्थी दूसरे के कार्य पर प्रतिक्रिया देता है – प्रस्तुति पर सुझाव देना



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