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Grading meaning and type

ग्रेडिंग एक शैक्षणिक प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से शिक्षार्थियों के ज्ञान, समझ, कौशल और प्रदर्शन का व्यवस्थित मूल्यांकन किया जाता है। यह न केवल छात्रों की शैक्षणिक उपलब्धियों को मापने का एक साधन है, बल्कि यह शिक्षा प्रक्रिया की गुणवत्ता, प्रभावशीलता और प्रासंगिकता को दर्शाने वाला एक दर्पण भी है। ग्रेडिंग केवल मात्रात्मक मूल्यांकन का उपकरण नहीं है, बल्कि यह छात्र की वैचारिक परिपक्वता, आलोचनात्मक सोच, रचनात्मक अभिव्यक्ति और विषय-वस्तु की समझ को पहचानने की एक प्रक्रिया है। विशेष रूप से उन विषयों में जहाँ उत्तरों की विविध व्याख्याएं संभव होती हैं, वहाँ ग्रेडिंग की भूमिका उत्तरों की गहराई, तर्कशक्ति, प्रस्तुति शैली और मौलिकता पर आधारित होती है। ग्रेडिंग प्रणाली शिक्षण और अधिगम के बीच संवाद को सशक्त बनाती है। यह विद्यार्थियों को आत्मचिंतन हेतु प्रेरित करती है और उन्हें यह जानने में सहायक होती है कि वे किस स्तर पर हैं और किस दिशा में प्रगति करनी है। हालाँकि, यह भी स्वीकार किया गया है कि ग्रेडिंग प्रणाली में कुछ अंतर्निहित सीमाएँ हैं। रचनात्मकता, भावनात्मक बुद्धिमत्ता, और सामाजिक-सांस्कृतिक सं...

Education corner : Exam Tips for Dear Students |

Education corner : Exam Tips for Dear Students | : 1. घबराने की ज़रूरत नहीं है! परीक्षा केवल एक मूल्यांकन (Assessment) है यह जानने के लिए कि आपने  क्या सीखा है। आत्मविश्वास रखें और शांत मन से...

Exam Tips for Dear Students |

1. घबराने की ज़रूरत नहीं है! परीक्षा केवल एक मूल्यांकन (Assessment) है यह जानने के लिए कि आपने  क्या सीखा है। आत्मविश्वास रखें और शांत मन से परीक्षा दे 2. प्रश्नों को ध्यान से पढ़ें हर प्रश्न को ध्यान से पढ़ें और यह समझें कि आपसे क्या पूछा गया है। जवाब उसी के अनुसार दें — न ज़्यादा, न कम 3. सभी प्रश्नों का उत्तर दें कोशिश करें कि आप सभी प्रश्नों का उत्तर दें, जिससे आप पूरे अंक प्राप्त कर सके 4. लॉन्ग क्वेश्चन (Long Questions) पर विशेष ध्यान दें लंबे उत्तर वाले प्रश्नों में आपका ज़्यादा फोकस होना चाहिए। फ्लोचार्ट, परिभाषा (Definition)और मुख्य बिंदुओं (Key Points)को हाइलाइट करें। इंट्रोडक्शन (Introduction)और निष्कर्ष (Conclusion) ज़रूर लिखें। 5. ऑब्जेक्टिव (Objective Questions) टिप्स ऑब्जेक्टिव सेक्शन में आपको 10 प्रश्नों के लिए 10 अंक मिलते हैं (1 अंक प्रति प्रश्न)।यह सबसे तेज़ और सटीक स्कोरिंग सेक्शन है, इसे हल्के में न लें। 6. शॉर्ट और लॉन्ग क्वेश्चन में टाइम डिवाइड करें शॉर्ट क्वेश्चन (5 Marks) – 4 प्रश्न। लॉन्ग क्वेश्चन  –(12.5 marks) 4 प्रश्न 7. उत्तर लेखन में ध्यान दें भा...

Assessment for learning

 Assessment for Learning 1.अधिगम हेतु मूल्यांकन मुख्यतः होता है: A) Summative / योगात्मक B) Formative / निर्माणात्मक C) Annual / वार्षिक D) Normative / मानक आधारित Answer / उत्तर: B) Formative / निर्माणात्मक 2. Which domain is not covered under comprehensive assessment? समग्र मूल्यांकन में निम्न में से कौन-सा क्षेत्र शामिल नहीं होता है? A) Cognitive / संज्ञानात्मक B) Affective / भावात्मक C) Psychomotor / क्रियात्मक D) Spiritual / आध्यात्मिक Answer / उत्तर: D) Spiritual / आध्यात्मिक 3. Culturally responsive assessment means: सांस्कृतिक रूप से उत्तरदायी मूल्यांकन का अर्थ है: A) Using national-level tests only / केवल राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा का उपयोग करना B) Ignoring local language and values / स्थानीय भाषा और मूल्यों को नज़रअंदाज़ करना C) Including local culture and context / स्थानीय संस्कृति और संदर्भ को शामिल करना D) Avoiding local customs in classroom / कक्षा में स्थानीय परंपराओं से बचना Answer / उत्तर: C) Including local culture and context / स्थानीय संस्कृति और संदर्भ को शामिल ...

Education system in india

 1. विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग (1948–49) लघु प्रश्न 1. विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग के अध्यक्ष कौन थे 2. इस आयोग का मुख्य उद्देश्य क्या था 3. आयोग ने उच्च शिक्षा के लिए कौन-कौन सी सिफारिशें दीं दीर्घ प्रश्न 1. विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग की प्रमुख सिफारिशों का वर्णन कीजिए 2. इस आयोग का भारतीय शिक्षा व्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ा बहुविकल्पीय प्रश्न प्रश्न - विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग के अध्यक्ष कौन थे A) डॉ. जाकिर हुसैन B) डॉ. राधाकृष्णन C) डॉ. कोठारी D) यशपाल उत्तर - B) डॉ. राधाकृष्णन 2. माध्यमिक शिक्षा आयोग (मुदालियर आयोग, 1952–53) लघु प्रश्न 1. मुदालियर आयोग की स्थापना क्यों की गई थी 2. इस आयोग की दो प्रमुख सिफारिशें क्या थीं 3. इस आयोग ने व्यावसायिक शिक्षा पर क्यों बल दिया दीर्घ प्रश्न 1. मुदालियर आयोग की सिफारिशों का वर्णन कीजिए 2. माध्यमिक शिक्षा के क्षेत्र में इस आयोग का योगदान क्या था बहुविकल्पीय प्रश्न प्रश्न - मुदालियर आयोग को किस नाम से जाना जाता है A) प्राथमिक शिक्षा आयोग B) माध्यमिक शिक्षा आयोग C) शिक्षक शिक्षा आयोग D) उच्च शिक्षा आयोग उत्तर - B) माध्यमिक शिक्षा आयोग 3. कोठारी ...

CCA और CCE: अर्थ, अंतर और उदाहरण

 CCA और CCE: अर्थ, अंतर और उदाहरण 1. CCA – निरंतर और व्यापक मूल्यांकन अर्थ: CCA एक ऐसी मूल्यांकन प्रक्रिया है जिसमें विद्यार्थियों के सीखने की प्रक्रिया का लगातार और समग्र मूल्यांकन किया जाता है। इसमें केवल परीक्षा ही नहीं, बल्कि विद्यार्थियों की समझ, व्यवहार, कौशल, रचनात्मकता और सामाजिक गुणों का भी आंकलन किया जाता है। मुख्य विशेषताएँ: * नियमित रूप से कक्षा गतिविधियों, होमवर्क, प्रोजेक्ट, प्रस्तुतियों आदि द्वारा मूल्यांकन * छात्रों की संज्ञानात्मक (बौद्धिक), भावनात्मक और क्रियात्मक क्षमताओं का परीक्षण * शिक्षकों द्वारा गतिविधियों के माध्यम से मूल्यांकन करना * विद्यार्थियों को फीडबैक देना और सुधार के अवसर प्रदान करना उदाहरण: * विज्ञान में प्रोजेक्ट रिपोर्ट के आधार पर छात्र का मूल्यांकन * हिंदी कक्षा में कहानी लेखन और मौखिक प्रस्तुति पर अंक देना * गणित में साप्ताहिक अभ्यास टेस्ट के आधार पर समझ को परखना 2. CCE – सतत और व्यापक मूल्यांकन अर्थ: CCE एक व्यापक शैक्षणिक मूल्यांकन प्रणाली है जिसे राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (NCF 2005) के अंतर्गत लागू किया गया। इसका उद्देश्य विद्यार्थियों के...
अधिगम के लिए मूल्यांकन (Assessment for Learning) परिभाषा अधिगम के लिए मूल्यांकन वह प्रक्रिया है जिसमें शिक्षक यह समझने का प्रयास करता है कि विद्यार्थी कैसे और कितना सीख रहा है। इसका उद्देश्य केवल परीक्षा में अंक देना नहीं, बल्कि यह जानना होता है कि विद्यार्थी को कहाँ मदद की आवश्यकता है और कैसे उसका सीखना बेहतर बनाया जा सकता है। यह प्रक्रिया शिक्षण के साथ-साथ चलती है और यह विद्यार्थियों की सोच, समझ, व्यवहार और आत्मविश्वास को बढ़ाने का कार्य करती है। यह मूल्यांकन बच्चों को अपनी सीखने की प्रक्रिया को पहचानने, सुधारने और आगे बढ़ाने में मदद करता है। यह एक सतत, सुधारात्मक और छात्र-केंद्रित प्रक्रिया होती है। उदाहरण 1. हिंदी की कक्षा में    शिक्षक बच्चों को एक भावनात्मक कविता पढ़ाता है और बाद में उनसे पूछता है कि उन्हें कविता का कौन-सा हिस्सा सबसे अच्छा लगा और क्यों। इससे बच्चों की भावनात्मक समझ और विश्लेषण की क्षमता का पता चलता है। 2. विज्ञान में परियोजना कार्य    विज्ञान विषय में विद्यार्थियों को "पानी बचाओ" पर एक परियोजना दी जाती है। वे पोस्टर बनाते हैं, रिपोर्ट तैयार कर...

किशोरावस्था : समझ और मार्गदर्शन (Adolescence: Understanding and Guidance)

किशोरावस्था : समझ और मार्गदर्शन (Adolescence: Understanding and Guidance) प्रस्तावना किशोरावस्था मानव जीवन का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और संवेदनशील चरण है। यह अवस्था बचपन और वयस्कता के बीच की वह कड़ी है, जहाँ व्यक्ति मानसिक, शारीरिक, सामाजिक और भावनात्मक रूप से बदलावों से गुजरता है। इस उम्र में व्यक्ति अपने अस्तित्व और पहचान को लेकर सजग हो जाता है तथा कई आंतरिक और बाहरी चुनौतियों का सामना करता है। इसलिए किशोरों को समझना, उनकी आवश्यकताओं को जानना और उन्हें सही मार्गदर्शन देना समाज, शिक्षक और अभिभावकों की जिम्मेदारी है। 1. किशोरावस्था की अवधारणा और विशेषताएँ किशोरावस्था सामान्यतः 12 से 18 वर्ष की आयु के बीच होती है। यह वह समय होता है जब शरीर में तीव्र विकास होता है और साथ ही मानसिक परिपक्वता की ओर भी वृद्धि होती है। किशोरावस्था में निम्नलिखित विशेषताएँ पाई जाती हैं – शारीरिक परिवर्तन – इस समय हार्मोनल बदलाव के कारण शरीर में कई परिवर्तन होते हैं जैसे लड़कों में आवाज़ भारी होना, मूंछ-दाढ़ी आना और लड़कियों में मासिक धर्म की शुरुआत। ये परिवर्तन उन्हें अजीब अनुभव करा सकते हैं। मानसिक पर...

Micro Teaching: शिक्षक निर्माण की प्रयोगशाला

एक अच्छा शिक्षक वो नहीं जो बस पढ़ा दे, बल्कि वो जो बार-बार सीखकर, सुधारकर और संवारकर पढ़ाए। इसी सोच की नींव पर टिका है — Micro Teaching या सूक्ष्म शिक्षण। Micro Teaching क्या है? Micro Teaching यानी "छोटे स्तर पर शिक्षण" — ये कोई सामान्य कक्षा नहीं होती, बल्कि एक अभ्यासशाला होती है, जहाँ शिक्षक बनने की तैयारी करने वाले प्रशिक्षु (Trainee Teachers) 5 से 10 मिनट में, 5 से 10 विद्यार्थियों के सामने, केवल एक शिक्षण कौशल पर ध्यान केंद्रित करते हैं। यह प्रक्रिया किसी शिक्षक के व्यक्तित्व को गढ़ने का एक महत्वपूर्ण पड़ाव होती है। Micro Teaching का दृश्य (Imagining the Image) एक छोटी-सी कक्षा है। पाँच विद्यार्थी गोल घेरे में बैठे हैं। सामने एक प्रशिक्षु शिक्षक ब्लैकबोर्ड पर “1857 की क्रांति” शीर्षक लिखता है। उसका हाथ स्थिर है, लिखावट साफ़ — यह Blackboard Writing का कौशल है। Micro Teaching के मुख्य शिक्षण कौशल (Core Teaching Skills) कौशल का नाम उदाहरण या भूमिका Blackboard Writing स्पष्ट, आकर्षक और संतुलित लिखावट Questioning Skill उपयुक्त, सोचने पर विवश करने वाले प्रश्न पूछना Reinforcem...

Kolhan University Pedagogy of Hindi B.Ed 3 semester

VI. सामग्री की शैक्षिक प्रस्तुति का  विश्लेषण शिक्षा केवल जानकारी का संप्रेषण नहीं है, बल्कि यह एक गहन मानवीय प्रक्रिया है, जो संवेदनाओं, सोचने के ढंग, सामाजिक व्यवहार और सांस्कृतिक मूल्यों को आकार देती है। जब हम किसी विषयवस्तु के शैक्षिक उपचार की बात करते हैं, तो हम यह सोचते हैं कि वह पाठ विद्यार्थियों के अनुभवों से कैसे जुड़ता है, उनके भीतर विचार करने की क्षमता कैसे विकसित करता है और उन्हें बेहतर भाषा उपयोग की ओर कैसे ले जाता है। 1. गद्य और पद्य पाठों का चयन (कक्षा 9वीं और 10वीं के लिए) हर पाठ अपने साथ कोई न कोई भावनात्मक अनुभव लेकर आता है। जैसे "एक टोकरी भर मिट्टी" केवल एक घटना नहीं, बल्कि उसमें निहित अपनापन, स्मृति और भावनात्मक संबंधों को प्रकट करता है। "बड़े भाई साहब" में अनुशासन और बालमनोविज्ञान का चित्रण है, जबकि "कोशिश करने वालों की हार नहीं होती" जैसी कविताएँ प्रेरणा और आशा का संचार करती हैं। शिक्षण में इन पाठों को भावात्मक, सांस्कृतिक और भाषाई दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया जाना चाहिए। 2. शब्द-भेद (Parts of Speech) संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया, विशेषण जैस...

Professional Development Of Hindi Teachers

1. हिंदी शिक्षकों के लिए इन-सर्विस प्रशिक्षण कार्यक्रम हिंदी शिक्षक का पेशा केवल पढ़ाने तक सीमित नहीं होता, बल्कि वह निरंतर सीखते रहने की प्रक्रिया का भी हिस्सा होता है। सेवा में रहते हुए शिक्षकों को दक्ष बनाए रखने के लिए कई प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख कार्यक्रम हैं: परिचय कार्यक्रम: ये कार्यक्रम शिक्षकों को नई शैक्षिक नीतियों और पाठ्यचर्या में हुए बदलावों की जानकारी देने के लिए होते हैं, जिससे वे अपने शिक्षण में इन बदलावों को शामिल कर सकें। पुनश्चर्या पाठ्यक्रम:अनुभवी शिक्षकों के ज्ञान को अद्यतन करने के उद्देश्य से ऐसे कोर्स कराए जाते हैं, जिनमें साहित्यिक, भाषिक और मूल्यांकन से जुड़ी नवीन जानकारियाँ दी जाती हैं। विषय आधारित कार्यशालाएँ:विशेष विषयों पर केंद्रित कार्यशालाएँ शिक्षकों को गहराई से उस विषय को समझने और रचनात्मक तरीकों से सिखाने की दिशा में तैयार करती हैं, जैसे रचनात्मक लेखन, बाल साहित्य आदि। डिजिटल प्रशिक्षण:तकनीकी साक्षरता को बढ़ाने के लिए ई-लर्निंग, स्मार्ट कक्षा और भाषाई सॉफ्टवेयर जैसे विषयों पर प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। 2....

हिंदी भाषा में तनाव (Stress) और स्वर-लहरियों (Intonation) के पैटर्न

 🔶 1. तनाव (Stress) क्या है? तनाव (Stress)से तात्पर्य है – जब हम बोलते समय किसी शब्द के किसी विशेष अक्षर या शब्दांश (syllable) पर अधिक ज़ोर देते हैं। हिंदी में तनाव का प्रभाव अंग्रेज़ी जितना महत्वपूर्ण नहीं होता, लेकिन फिर भी कुछ शब्दों या वाक्यों में अर्थ स्पष्ट करने के लिए हल्का तनाव उपयोगी होता है। 🔸 उदाहरण: 1. राम ने सीता को फूल दिया। यहाँ "राम" पर हल्का तनाव देने से स्पष्ट होता है कि काम करने वाला व्यक्ति राम है।    लेकिन अगर हम कहते हैं: राम ने सीता को फूल दिया। तो "फूल" पर तनाव देकर हम यह दर्शाते हैं कि राम ने उपहार के रूप में फूल दिया, न कि कुछ और। 🔶 2. स्वर-लहरियाँ (Intonation) क्या हैं? स्वर-लहरियाँ (Intonation) का अर्थ है – वाक्य बोलते समय हमारी आवाज़ का ऊपर-नीचे जाना। यह हमारे भाव (भावनाएँ, प्रश्न, आदेश, विस्मय आदि) व्यक्त करने में मदद करता है। 🔸 स्वर-लहरियों के प्रकार: (क) उतरोत्तर स्वर (Rising Intonation) जब वाक्य के अंत में आवाज़ ऊपर जाती है। आमतौर पर प्रश्नवाचक वाक्यों में। 👉 उदाहरण: तुम आज स्कूल जाओगे? (यहाँ "जाओगे" बोलते समय आवाज़ थो...

Hindi pedagogy 3 semester( हिंदी भाषा में ध्वनियों का उच्चारण और वाक्-इंद्रियों का उपयुक्त उपयोग)

हिंदी भाषा में ध्वनियों का उच्चारण और वाक्-इंद्रियों का उपयुक्त उपयोग 1. ध्वनि क्या है? जब हम बोलते हैं, तो हमारे फेफड़ों से निकली हुई हवा, मुंह और गले के अंगों से टकराकर एक विशेष ध्वनि उत्पन्न करती है। यही ध्वनि भाषा का मूल आधार होती है। हिंदी भाषा ध्वनि प्रधान भाषा है, जिसमें प्रत्येक अक्षर एक निश्चित ध्वनि को दर्शाता है। 2. मुख्य वाक्-इंद्रियाँ (Organs of Speech) हमारे शरीर में कुछ अंग ऐसे होते हैं जो ध्वनि उत्पन्न करने और उसे स्पष्ट रूप से व्यक्त करने में सहायता करते हैं। इन्हें वाक्-अंग या वाक्-इंद्रियाँ कहा जाता है। ये अंग निम्नलिखित हैं: | वाक्-अंग (Speech Organs) | कार्य (Function) | फेफड़े (Lungs)| उच्चारण के लिए आवश्यक वायु प्रदान करते हैं स्वरयंत्र (Larynx / Voice box)| स्वर ध्वनि का निर्माण करता है | तालु (Palate)| ध्वनि की गुणवत्ता को नियंत्रित करता है | दांत (Teeth)| कुछ व्यंजनों के उच्चारण में सहायक | जीभ (Tongue)| ध्वनियों के निर्माण में सबसे सक्रिय अंग ओंठ (Lips)| प, फ, ब, म जैसे व्यंजनों के ...

B.Ed 3 semester Pedagogy of Hindi Sounds of Hindi language : Consonants and Vowels (Pure and Diphthongs)

 हिंदी भाषा के ध्वनियाँ: व्यंजन और स्वर (शुद्ध स्वर और संयुक्त स्वर / द्वित्व स्वर) परिचय: ध्वनि और भाषा भाषा का मूल आधार ध्वनि (Sound) है। यह वह माध्यम है जिसके द्वारा विचारों और भावनाओं को व्यक्त किया जाता है। हिंदी भाषा एक ध्वन्यात्मक भाषा है अर्थात जैसा लिखा जाता है, वैसा ही बोला जाता है। हिंदी के ध्वनियों को दो मुख्य वर्गों में बाँटा जाता है: 1. स्वर (Vowels) 2. व्यंजन (Consonants) 1. स्वर (Vowels) स्वर वे ध्वनियाँ होती हैं जिनके उच्चारण में हवा का प्रवाह मुँह के भीतर बिना किसी रुकावट के बाहर निकलता है। स्वर स्वतंत्र रूप से बोले जा सकते हैं। हिंदी में कुल **11 शुद्ध स्वर** और **4 संयुक्त स्वर (द्वित्व स्वर)** होते हैं। (क) शुद्ध स्वर (Pure Vowels): | स्वर | उच्चारण उदाहरण | मानवीय उदाहरण | | ---- | ---------------- | -------------------------------------------------- | | अ | **अग्नि**, अनाज | जैसे नवजात शिशु की पहली ध्वनि 'अ' | | आ | **आकाश**, आग | प्रसन्नता की ध्वनि: “आह, कितना सुंदर है!” | | इ ...

Kolhan University B.Ed Hindi Pedagogy 3 semester

हिंदी भाषा का विश्लेषण: तत्व, रूप और प्रसंग   परिचय हिंदी भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि भारतीय समाज, संस्कृति, और विचारधारा की गहन अभिव्यक्ति है। यह भाषा अपने भीतर एक जीवंत परंपरा, संवेदना, और जीवनदृष्टि को समेटे हुए है। इसका विश्लेषण यदि तत्व (अर्थ और विषयवस्तु), रूप (संरचना और व्याकरण), और प्रसंग (सामाजिक-सांस्कृतिक संदर्भ) के आधार पर किया जाए, तो स्पष्ट होता है कि हिंदी भाषा महज लिपि और व्याकरण तक सीमित नहीं, बल्कि एक सजीव सांस्कृतिक संरचना है। 1. तत्व (Substance): हिंदी भाषा की अंतर्वस्तु हिंदी भाषा की तत्वात्मकता इसकी विषय-वस्तु, भाव-व्यंजना, विचार-संप्रेषण और सांस्कृतिक मूल्यों से जुड़ी होती है। हिंदी में प्रयुक्त शब्द, कहावतें, लोकोक्तियाँ, मुहावरे और प्रतीक भारतीय जनमानस के जीवन-दर्शन, संघर्ष, आनंद, पीड़ा और परंपराओं को व्यक्त करते हैं।  ✦ उदाहरण: “राम नाम सत्य है”— यह वाक्य न केवल मृत्यु को स्वीकार करने की भारतीय भावना को दर्शाता है, बल्कि इसमें धर्म, सत्य, और जीवन-मृत्यु चक्र का सांस्कृतिक दृष्टिकोण भी छिपा होता है। “घर की मुर्गी दाल बराबर” — इस लोकोक्ति...

Kolhan University B.Ed Hindi Pedagogy 3 semester

 हिंदी भाषा और उसकी अभिव्यक्ति: परिचय भाषा केवल संप्रेषण का माध्यम नहीं होती, बल्कि यह मानव अनुभव, संस्कृति, भावनाओं और पहचान की संवाहक होती है। हिंदी भाषा न केवल भारत में सबसे व्यापक रूप से बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है, बल्कि यह भावनाओं, संबंधों और सामाजिक संरचनाओं की अभिव्यक्ति का एक प्रभावशाली और आत्मीय माध्यम भी है। मानवीकी दृष्टिकोण से हिंदी भाषा को समझना उसके भावात्मक, सांस्कृतिक और सामाजिक पक्षों को उजागर करना है। 1. भाषा: एक मानवीय निर्माण भाषा मनुष्य द्वारा रचित एक जीवित प्रणाली है जो उसके अनुभवों, भावनाओं और सामाजिक संबंधों से उत्पन्न होती है। हिंदी भाषा भी मानव अनुभवों से गहराई से जुड़ी हुई है। उदाहरण: शब्द जैसे – *"ममता", "दादी", "सुख-दुख", "अपनापन"* – केवल अर्थ नहीं देते, बल्कि वे उन भावनाओं को जीवंत करते हैं जो परिवार, संबंध और स्मृतियों से जुड़ी होती हैं। 2. हिंदी: संस्कृति और पहचान की संवाहक मानविकी में भाषा को संस्कृति का आईना माना जाता है। हिंदी भाषा भारत की विविध संस्कृति, परंपराओं और सोच को अभिव्यक्त करती है। उदाहरण: कबी...